Holi 2025 & Holika Dahan | होली 2025 और होलिका दहन: तारीख, पूजा विधि

होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह त्योहार भक्त प्रह्लाद और होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है, जहाँ बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। 2025 में होली 7 मार्च से शुरू होगी और 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। इस ब्लॉग में हम जानेंगे होली और होलिका दहन का महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और देशभर में होने वाले विशेष होली उत्सवों की जानकारी।

होली 2025 की तारीख और महत्वपूर्ण तिथियां

होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है।

  • होलिका दहन (Holi Fire): 13 मार्च 2025, गुरुवार
  • धुलंडी होली (Dhulandi Holi): 14 मार्च 2025, शुक्रवार

होली 2025: मुहूर्त (Muhurt)

होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त जानना महत्वपूर्ण है। 13 मार्च 2025 को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम को 6:30 बजे से 8:30 बजे के बीच रहेगा।

होलिका दहन: विधि (Vidhi) और पूजा सामग्री

होलिका दहन के दिन, लोग लकड़ी और उपले इकट्ठा करके एक ढेर बनाते हैं। फिर, शुभ मुहूर्त में, इस ढेर को जलाया जाता है। यह बुराई के प्रतीक होलिका के दहन का प्रतीक है।

पूजा सामग्री:

  • लकड़ी और उपले
  • कच्चा सूत
  • रोली
  • चावल
  • फूल
  • धूप
  • दीपक
  • नारियल
  • गेहूं की बालियां

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होलिका दहन की पूजा विधि:

  1. सबसे पहले, होलिका के ढेर की परिक्रमा करें।
  2. कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर बांधें।
  3. रोली, चावल, फूल और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
  4. धूप और दीपक जलाएं।
  5. नारियल और गेहूं की बालियां अर्पित करें।
  6. होलिका दहन के बाद, राख को माथे पर लगाएं।

वृंदावन, मथुरा और ब्रज में होली का उत्सव

वृंदावन, मथुरा और ब्रज में होली का उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां होली का त्योहार एक सप्ताह से भी अधिक समय तक चलता है।

वृंदावन होली:

  • फूलों वाली होली (Phoolwalon Ki Holi): 10 मार्च 2025, सोमवार को बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली खेली जाती है।
  • रंगभरी एकादशी होली: 10 मार्च 2025, सोमवार को वृंदावन में रंगभरी एकादशी मनाई जाती है।
  • बांके बिहारी जी का मंदिर होली के दौरान विशेष रूप से सजाया जाता है।

मथुरा होली:

  • श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर: 10 मार्च 2025, सोमवार को मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • पूरे मथुरा शहर में रंगों की धूम रहती है।
  • द्वारकाधीश मंदिर में डोला और विश्राम घाट पर भी विशेष आयोजन होते हैं।

ब्रज की होली:

  • बरसाना लठमार होली (Barsana Lathmar Holi): 8 मार्च 2025, शनिवार को बरसाना में लठमार होली खेली जाती है, जिसमे महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं।
  • बरसाना लड्डू होली (Barsana Laddu Holi): 7 मार्च 2025, शुक्रवार को श्रीजी मंदिर बरसाना में लड्डू होली खेली जाती है।
  • नंदगांव होली (Nandgaon Holi): 9 मार्च 2025, रविवार को नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है।
  • गोकुल होली (Gokul Holi): 11 मार्च 2025, मंगलवार को गोकुल में होली मनाई जाती है और रमन रेती में दर्शन किए जाते हैं।
  • धुलंडी होली (Dhulandi Holi): 14 मार्च 2025, शुक्रवार को द्वारकाधीश मंदिर में टेसू के फूलों और अबीर-गुलाल से होली खेली जाती है।

ब्रज में होली का कार्यक्रम (2025)

तिथिकार्यक्रमस्थान
7 मार्च 2025, शुक्रवारबरसाना लड्डू होली (Barsana Laddu Holi)श्रीजी मंदिर बरसाना (Sriji Temple Barsana)
8 मार्च 2025, शनिवारबरसाना लठमार होली (Barsana Lathmar Holi)बरसाना (Barsana)
9 मार्च 2025, रविवारनंदगांव होली (Nandgaon Holi)नंद भवन नंदगांव (Nand Bhawan Nandgaon)
10 मार्च 2025, सोमवारवृंदावन फूलों वाली होली (Vrindavan Holi)बांके बिहारी मंदिर वृंदावन (Bankey Bihari Temple Vrindavan)
10 मार्च 2025, सोमवारमथुरा होली (Mathura Holi)श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा (Shri Krishna Janmabhoomi Temple Mathura)
11 मार्च 2025, मंगलवारगोकुल होली (Gokul Holi)गोकुल और रमन रेती (Gokul and Raman Reti)
13 मार्च 2025, गुरुवारहोलिका दहन (Holika Dahan)द्वारकाधीश मंदिर, विश्राम घाट मथुरा, बांके बिहारी मंदिर वृंदावन (Dwarkadhish Temple, Vishram Ghat Mathura, Banke Bihari Temple Vrindavan)
14 मार्च 2025, शुक्रवारधुलंडी होली (Dhulandi Holi)ब्रज (Brij)

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होली की तैयारी कैसे करें?

  • प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।
  • अपनी त्वचा और बालों को रंगों से बचाने के लिए तेल लगाएं।
  • आरामदायक कपड़े पहनें।
  • मिठाइयां और नमकीन तैयार करें।
  • पर्यावरण का ध्यान रखें, प्लास्टिक का उपयोग कम करें।

भारत में होली मनाने के प्रसिद्ध स्थान

  • वृंदावन और मथुरा
  • जयपुर
  • उदयपुर
  • दिल्ली
  • पंजाब

होली की शुभकामनाएँ | Happy holi wishes in hindi

  • रंगों की ये बौछार 🌈, लाए जीवन में खुशियों की बहार 🥳। दिल से दिल मिले ❤️, मिटे हर तकरार 🤝, होली का ये त्योहार लाए प्यार अपार 🥰।
  • गुलाल की लाली 💖, पानी की फुहार 💦, अपनों का साथ और मीठे पकवान 😋। ये होली लाए आपके जीवन में खुशियों की सौगात 🎁!
  • होली के रंग 🎨, भर दें जीवन में उमंग 🎉। हर तरफ हो खुशियों की तरंग 🌊, और दिलों में बजे प्यार का मृदंग 🥁।
  • पिचकारी की धार , अपनों का प्यार 🤗, गुलाल की महक और मिठाइयों की मिठास 🍬। होली लाए जीवन में नई आस ✨।
  • बुराई की होलिका जले , अच्छाई का रंग खिले 🌼। ये होली लाए आपके जीवन में खुशियों के नए सिलसिले 🌟।
  • रंगों से सजी ये शाम , अपनों के संग हो हर काम । होली के इस पावन पर्व पर , दिल से निकली हैं ये शुभकामनाएँ तमाम 💌।
  • फागुन की मस्ती 💃, रंगों की धुन 🎶, अपनों के साथ मनाओ होली के ये पल अनमोल 💖। होली की हार्दिक शुभकामनाएँ 🎊।
  • दिल से दिल मिलाओ 🤝, रंगों में घुल जाओ 🌀। पुराने गिले-शिकवे भुलाओ 😌, और होली का ये त्योहार खुशियों से मनाओ 😊।
  • रंगों की ये टोली 🥳, लाए जीवन में खुशहाली 🏡। हर तरफ हो प्यार की बोली 🗣️, यही है सच्ची होली 🌈।
  • ये रंगीन त्योहार 🎈, लाए जीवन में प्यार 🥰। हर तरफ हो खुशियों की बौछार 🌧️, और हर दिल में हो प्यार का संचार ❤️।

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होली का इतिहास

प्रह्लाद और होलिका की कथा:

  • यह कथा सबसे प्रसिद्ध है। हिरण्यकशिपु नामक एक असुर राजा था, जो बहुत शक्तिशाली था और चाहता था कि सभी लोग केवल उसकी पूजा करें। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था।
  • हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन विष्णु की कृपा से वह हर बार बच गया। अंत में, हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, जिसके पास अग्नि में न जलने का वरदान था।
  • होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी, लेकिन विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई। यह घटना बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

राधा और कृष्ण की कथा:

  • ब्रज क्षेत्र में, होली का संबंध राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से भी है। कृष्ण को अपने सांवले रंग के कारण राधा के गोरे रंग से ईर्ष्या होती थी।
  • उनकी माता ने उन्हें सुझाव दिया कि वे राधा के चेहरे पर रंग लगा दें। कृष्ण ने ऐसा ही किया, और यह रंग लगाने की परंपरा होली के रूप में विकसित हुई।

सांस्कृतिक महत्व:

  • होली वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह फसल के मौसम के अंत और नई शुरुआत का जश्न है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. होली कब मनाई जाती है?
    • होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है।
  2. होलिका दहन क्या है?
    • होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  3. लठमार होली कहाँ खेली जाती है?
    • लठमार होली बरसाना और नंदगांव में खेली जाती है।
  4. होली के रंग क्या दर्शाते हैं?
    • होली के रंग खुशियों और प्रेम का प्रतीक हैं।

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